जडी-बूटियाँ
इंदौर की जड़ी-बूटी विदेशी दवाओं में | |
भारत के इंदौर जिले का "औषधीय फसलों के उत्पादन में" नाम तेजी से आगे आ रहा है। यहाँ पैदा होने वाली अश्वगंधा, शतावर, कालमेघ और सफेद मूसली विदेशों तक जा रही है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्घति का चलन बढ़ने के कारण इन पौधों का उपयोग बड़े पैमाने पर विदेशों में दवाइयाँ बनाने में हो रहा है। केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट के तहत यहाँ कृषि महाविद्यालय में भी औषधीय पौधों की नई किस्मों पर शोध चल रहा है। |
विलुप्ति की कगार पर है जड़ी-बूटियाँ | |
घरेलू नुस्खों में इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियाँ अब बीते दिनों की बात होती जा रही हैं। ये जड़ी-बूटियाँ अब विलुप्त होने की कगार पर है। ये जड़ी-बूटियाँ बहुत महतवपूर्ण है 'हंसराज', 'कामराज', 'हरजोड़', 'वच', 'आंबा हल्दी', 'चित्रक' और 'कलिहारी' सरीखी औषधीय गुणों वाले तमाम पौधे गायब हो चुके हैं। |
पवाड़ : एक उपयोगी वनस्पति | |
| पवाड़ को पवाँर, जकवड़ आदि नामों से पुकारा जाता है। वर्षा ऋतु की पहली फुहार पड़ते ही इसके पौधे खुद उग आते हैं और गर्मी के दिनों में जो-जो जगह सूखकर खाली हो जाती है, वह घास और पवाड़ के पौधे से भरकर हरी-भरी हो जाती है। इसके पत्ते अठन्नी के आकार के और तीन जोड़े वाले होते हैं। |
हरसिंगार के गुण भी सुंदर | |
हरसिंगार जिसे पारिजात भी कहते हैं, एक सुन्दर वृक्ष होता है, जिस पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यह सारे भारत में पैदा होता है। परिचय : यह 10 से 15 फीट ऊँचा और कहीं 25-30 फीट ऊँचा एक वृक्ष होता है और देशभर में खास तौर पर बाग-बगीचों में लगा हुआ मिलता है। |
मुलहठी के मीठे उपयोग | |
| त्वचा रोगों में भी मुलहठी लाभकारी है। मुलहठी का लेप बनाकर इस्तेमाल किया जाता है। इससे त्वचा का रंग निखर आता है। त्वचा की जलन और सूजन दूर होती है। यौवन को बनाए रखने के लिए इसका भीतरी एवं बाहरी प्रयोग काफी लाभदायक होता है। |
1 Comments:
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